THE BASIC PRINCIPLES OF BHOOT KI KAHANI

The Basic Principles Of bhoot ki kahani

The Basic Principles Of bhoot ki kahani

Blog Article

Bhoot ki kahani

फकौली के छोटे से भूले-बिसरे शहर में रेलवे स्टेशन के पास एक बहुत पुराना, टेढ़ा-मेढ़ा पेड़ था। शहर के लोग उससे दूर रहते थे, और […]

और इसलिए, राम, सोनू, और भूतिया गुफा की कहानी गांबवालो के लिए एक मिशाल बन गई।

और उस दिन के बाद से मैंने कभी भी अनजान लोगों से मिलना और बात करना बंद कर दिया।

फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया। दरवाजा खोलते ही एक आदमी आया और बोला कि क्या काम है तो मैंने बोला कि मुझे प्रीति से मिलना है।

जैसे-जैसे वे गहराई में जाते गए, पानी टपकने की आवाज गूंज उठी, जिससे माहौल और भी डरावना हो गया। अचानक, उन्होंने एक धीमी गड़गड़ाहट सुनी, और उन्हें अंधेरे में चमकती हुयी आँखें दिखी।

यह कहानी भी पढ़े: भूत की कहानियाँ जो काफी डरावनी है

भूत प्रेतों से जुड़ी तीन सच्ची कहानियां

तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया । लेकिन टॉर्च के सामने हम लोगों ने उसका थोड़ा बहुत चेहरा देख लिया था। वह काला काला आदमी मटमैली सफेद रंग की धोती और मुंह पर बहुत सारे चेचक के निशान थे । सब लोग बहुत डर गए।

जब गौरब घर के पास पहुँचा, तब उसे बहुत ठंड लग रही थी। घर बिखरा हुआ था, जिसमें टूटे हुए खिड़कियाँ थीं और एक दरवाजा था, जो खोलने पर जोर से आवाज करता था। गौरब सबधाणी से दरवाजा खोला और घर में दाखिल हुआ।

“हिन्दू धर्म शास्त्रो के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति का मोह मरने के बाद किसी वस्तु में रह जाए तो उसके छुटकारे के लिए जरूरत मंद व्यक्तियों को दान दिया जाता है, और अतृप्त व्यक्ति की आत्मा के छुटकारे के लिए खास पूजा-अर्चना और शांति पाठ किए जाते हैं।”

क्या पता इसको भी इन चीजों में दिलचस्पी हो दूसरे दिन हम लोगों ने ऐसा ही किया तो रात में वह अंदर खेलने नहीं आया। हम लोग ऐसा चार-पांच दिन में एक बार रख के आ जाते थे । एक बार गांव वालों ने देख लिया और पूछा तो हमने सारी बातें बता दी । तब से आज भी वहां पर गांव वाले बीड़ी माचिस ताश के पत्ते हफ्ते में एक बार जरूर चढ़ाते हैं। और आज भी वह आत्मा किसी को परेशान नहीं करती।

बहुत पहले की बात है,कोई पचास साल पहले राजस्थान के किसी गांव में एक चरवाहा रहता था। वह कुछ अपनी, कुछ दूसरों की भेड़ बकरियां चरा कर गुजारा करता था। खेती उसके पास थी तो किन्तु बस नाम ...

"तो नंदिनी केसा लगा हमारा नया घर?" आशितोष अपनी पत्नी नंदिनी से पूछता है। नंदिनी नये घर के लिविंग रूम के पुराने फर्नीचर को देखते हुए कहती है। "घर तो काफ़ी अच्छा है। बस ये फर्नीचर थोड़ा पुराना है। मुझे ...

लेकिन ये हो कैसे सकता है बाइक की गति तेज थी इसलिए उतरने का तो कोई चांस ही पैदा नहीं होता। .

Report this page